Friday 11 January 2019

मार्कोस कमांडो बनने के लिए कौन कौन से ट्रैनिंग से गुजरना पड़ता है ???

मार्कोस कमांडो होता कौन है:-

मार्कोस को पहले समुद्री कमांडो फाॅर्स या एमसीएफ के रूप में जाना जाता था | भारतीय नौसेना की एक बिशेष बल इकाई है जिसे 1987  मैं  स्थापित किया गया था | मार्कोस का प्रशिक्षण इतना ब्यापक होता है की इनको आतंकबाद से लेकर ,नेवी ऑपरेशन और एंटी पायरेसी ऑपरेशन में भी भी इस्तेमाल किया जाता है | कुछ मामलो में तो इनको अमेरिकी नेवी सील से बेहतर माना जाता है | इनको मोटो है "THE FEW THE FEARLESS. "

1000 सेनिको में से कोई एक ही मार्कोस कमांडो बन पाता है :

मार्कोस कमांडो का सिलेक्शन होना बहुत ही मुश्किल होता है | ये कमांडो भारत के सबसे खतरनाक कमांडो में गिने जाते है | इनसे किसी भी तरह के ऑपरेशन करवाये  जा सकते है जबकि मरीन अर्थात पानी से जुड़े ऑपरेशन में इनको महारत हासिल होती है | 


मार्कोस कमांडो का चयन कैसे होता है :-

मार्कोस कमांडो में शामिल होने के लिए भारतीय नौसेना के किसी भी कर्मचारी को पहले तीन दिवसीय ,शारीरिक  फिटनेस टेस्ट और योग्यता परीक्षा से गुजरना होता है | 


किस तरह की ट्रेनिंग लेते है मार्कोस कमांडो :-

एक मार्कोस कमांडो के रूप में प्रशिक्षित होने के लिए सेलेक्शन हासिल करना ही बहुत मुश्किल होता है | मार्कोस कमांडो बनने के लिए 20 साल के युवाओ का चयन किया जाता है | पूर्व -प्रशिक्षण चयन प्रक्रिया में तीन दिवसीय शारीरिक फिटनेस और योग्यता परीक्षा शामिल होती है जिसमे लगभग 80 % आवेदको को  स्क्रीनिंग  करके बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है | इसके बाद 5 सप्ताह की की एक कठिन परीक्षा का दौर शुरू होता है जो की इतना काष्टकारी होता है की लोग इसकी तुलना नर्क से भी करते है | इस प्रक्रिया में ट्रेनी को सोने नहीं दिया जाता है ,और उन्हें भूखा भी रखा जाता है और कठिन परिश्रम करवाया जाता है | इस चरण में जो लोग ट्रेनिंग छोड़कर भागते नहीं है उनको बास्तविक ट्रेनिंग के लिए चुना जाता है | 
मार्कोस कमांडो की बास्तविक ट्रेनिंग लगभग 3 साल तक चलती है | इस ट्रेनिंग में इनको जांघो तक कीचड़ में घुस कर 800 मीटर दौड़ लगानी पड़ती है और इस दौरान इनके कन्धों पर 25 किलो का वजन भी रखा जाता है | 
इसके बाद इन जवानो को "होलो " और  "होहो " नाम की ट्रेनिंग को पूरा करना पड़ता है | "हैलो जम्प में जवान को लगभग 11 किमी की उचाई से जमीन पर कूदना होता है जबकि "होहो " जम्प में जवान को 8 किमी की ऊंचाई से कूदना होता है और 8 सेकेंड के अन्दर अपने पेराशूट को भी खोलना होता है | 
मार्कोस प्रशिक्षुओ को पैरा जंपिंग के लिए पैरासूट ट्रेनिंग और गोताखोरी के प्रशिक्षण के लिए कोच्चि में नौसेना के ड्राइविंग स्कुल में ट्रेनिंग दी जाती है | 
मार्कोस कमांडो को हर प्रकार के हथियार और उपकरणों इनमे चाकू और धनुष चलना ,स्नाइपर राइफल्स चलना ,हथगोले चलना और नंगे हाथो से लड़ने में प्रशिक्षित किया जाता है | 
यहाँ पर एक चौकाने वाली बात यह है की इन कमांडो के घरवालों को भी यह पता नहीं होता है की वो कमांडो है | 
इनको अपनी पहचान को छुपाकर रखना होता है | 


मार्कोस कमांडो किस तरह के अभियानों में भाग लेते है :

मार्कोस कमांडो मुख्य तौर से समुंद्र से जुड़े ऑपरेशन करते है लेकिन जरुरत पड़ने पर ये आतंकबाद बिरोधी ऑपरेशन ,एंटी पायरेसी ऑपरेशन समुंद्री डकैती ,समुंद्री घुसपेट को रोकना ,बंधक लोगो का बचाव ,हवाई जहाज अपहरण ,रासायनिक हमलो इत्यादि से निपटने के लिए तैयार किये जाते है | 

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